शशि थरूर का ट्रंप को करारा जवाब: “पाकिस्तान पर हमें मत समझाओ!” – US जाने से पहले दिया बड़ा बयान

परिचय: भारत-पाक और अमेरिका के बीच एक नया बयानबाज़ी मोड़

भारत और अमेरिका के बीच संबंधों की दिशा तब बदलने लगती है जब कोई बड़ा नेता पाकिस्तान को लेकर विवादास्पद बयान देता है। हाल ही में, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान के कश्मीर विवाद पर मध्यस्थता की इच्छा जताई, जिससे राजनीतिक हलकों में उबाल आ गया।

इस पर कांग्रेस नेता और वरिष्ठ सांसद डॉ. शशि थरूर ने ट्रंप को एक सीधा और करारा जवाब दिया जो सोशल मीडिया और न्यूज हेडलाइंस में छा गया।


🗣️ क्या कहा ट्रंप ने? – कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता का दावा

डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे कश्मीर विवाद पर मध्यस्थता की बात की थी। इस बयान ने भारत में एक तरह की राजनैतिक और कूटनीतिक बहस छेड़ दी क्योंकि भारत हमेशा इस मसले को द्विपक्षीय मानता है और किसी तीसरे पक्ष की भूमिका को नकारता रहा है।


💥 शशि थरूर का तीखा पलटवार: “हमें किसी से सिखने की जरूरत नहीं”

शशि थरूर ने ट्रंप के बयान को न केवल ग़लत बताया बल्कि उन्हें भारत की नीति पर व्याख्यान न देने की नसीहत भी दी। उन्होंने कहा:

हमें किसी को यह समझाने की ज़रूरत नहीं कि पाकिस्तान ने आतंकवाद को कैसे बढ़ावा दिया है। भारत की विदेश नीति बिल्कुल स्पष्ट है, और कोई भी भ्रम अमेरिका में नहीं होना चाहिए।”


🇮🇳 भारत की विदेश नीति: आत्मनिर्भर और स्पष्ट

शशि थरूर, जो पहले संयुक्त राष्ट्र में उच्च पदों पर कार्य कर चुके हैं, ने यह भी कहा:

  • भारत किसी मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करता
  • पाकिस्तान से बातचीत केवल तब संभव है जब वह आतंकवाद का समर्थन बंद करे
  • अमेरिका जैसे देशों को भारत की नीति को सम्मान देना चाहिए, न कि उसे चुनौती देना चाहिए।

📱 जनता और सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया

शशि थरूर का यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब पर लोग उनकी स्पष्टता और राष्ट्रीय भावना की सराहना कर रहे हैं। कई लोगों ने कहा कि “यही नेता हैं जो भारत की आवाज़ को दुनिया तक मजबूत तरीके से पहुँचाते हैं।”


🔚 निष्कर्ष: ट्रंप को मिला भारत से स्पष्ट संदेश

इस पूरे विवाद का सार यही है कि भारत अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर आत्मविश्वास से अपनी बात रखता है। शशि थरूर जैसे नेता यह सुनिश्चित करते हैं कि भारत की संप्रभुता और सम्मान से कोई भी समझौता न हो, चाहे वह अमेरिका जैसा ताकतवर देश ही क्यों न हो।


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