क्या होती है पीड्रिएटिक लिवर डिजीज, कैसे ये छोटे बच्चे के लिवर को भी कर देती है खराब

पीड्रिएटिक लिवर डिजीज क्या होती है? यह छोटे बच्चों के लिवर को कैसे नुकसान पहुंचाती है, इसके लक्षण, कारण, इलाज और बचाव के तरीके जानें। हर माता-पिता को यह जानकारी जरूर होनी चाहिए।

पीड्रिएटिक लिवर डिजीज क्या है?

पीड्रिएटिक लिवर डिजीज (Pediatric Liver Disease) यानी बच्चों में होने वाली लिवर संबंधी बीमारियाँ, जो जन्म के समय या बाद में किसी भी उम्र में हो सकती हैं। यह बीमारी बच्चे के जिगर (लिवर) के सामान्य कार्यों को प्रभावित करती है — जैसे पाचन, विषैले तत्वों को बाहर निकालना और ऊर्जा संचय।

यह बीमारी नवजात शिशुओं से लेकर किशोरों तक में पाई जा सकती है। समय पर इसका इलाज न हो तो यह लिवर फेलियर या मृत्यु तक का कारण बन सकती है।


कैसे ये बीमारी छोटे बच्चों के लिवर को नुकसान पहुंचाती है?

  1. लिवर सेल्स (कोशिकाओं) को नष्ट करती है:
    पीड्रिएटिक लिवर डिजीज से लिवर की स्वस्थ कोशिकाएं धीरे-धीरे खराब होने लगती हैं।
  2. पित्त का बहाव रुक जाता है (Bile Obstruction):
    पित्त शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकालता है। जब इसका प्रवाह रुकता है तो जॉन्डिस (पीलिया) जैसी समस्याएं होती हैं।
  3. सूजन और फाइब्रोसिस:
    लगातार सूजन से लिवर में फाइब्रोसिस (Fibrosis – यानी कठोर ऊतक) बन जाते हैं, जिससे लिवर की कार्यक्षमता कम हो जाती है।
  4. सिरोसिस और लिवर फेलियर:
    अगर समय पर इलाज न हो, तो यह बीमारी सिरोसिस में बदल सकती है — जिसमें लिवर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाता है।

🔍 मुख्य कारण (Causes) क्या होते हैं?

  • बिलियरी एट्रेसिया (Biliary Atresia): नवजात शिशुओं में होने वाली एक गंभीर बीमारी, जिसमें पित्त नलिकाएँ बंद हो जाती हैं।
  • हेपेटाइटिस वायरस (Hepatitis A, B, C): वायरल संक्रमण से भी बच्चों का लिवर खराब हो सकता है।
  • जेनेटिक बीमारियाँ: जैसे अल्फा-1 एंटीट्रिप्सिन की कमी, Wilson’s Disease आदि।
  • मेटाबोलिक डिसऑर्डर: जन्मजात एंजाइम की कमी के कारण पाचन क्रिया में गड़बड़ी।
  • ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस: शरीर की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली ही लिवर पर हमला करने लगती है।

🩺 लक्षण (Symptoms) क्या होते हैं?

  • त्वचा और आंखों में पीलापन (पीलिया)
  • पेशाब का रंग गहरा होना
  • मल का रंग सफेद या हल्का होना
  • पेट में सूजन या गैस
  • वजन न बढ़ना या अचानक कम होना
  • बच्चे का लगातार रोते रहना और चिड़चिड़ापन

🧪 डायग्नोसिस (जांच कैसे होती है?)

  • रक्त जांच (Liver Function Test)
  • अल्ट्रासाउंड या CT स्कैन
  • बायोप्सी — लिवर की एक छोटी-सी सैंपल लेकर जांच करना
  • जेनेटिक टेस्टिंग — अनुवांशिक कारणों की पुष्टि के लिए

🧬 इलाज के तरीके (Treatment Options):

  1. दवाइयाँ और सपोर्टिव ट्रीटमेंट:
    लक्षणों को कंट्रोल करने और लिवर को हेल्दी रखने के लिए।
  2. सर्जरी (जैसे कासाई प्रक्रिया):
    खासतौर पर बिलियरी एट्रेसिया के मामलों में।
  3. लिवर ट्रांसप्लांट:
    जब लिवर पूरी तरह से फेल हो जाए तो अंतिम विकल्प होता है लिवर ट्रांसप्लांट।

🛡️ बचाव कैसे करें? (Prevention Tips)

  • गर्भावस्था के दौरान रेगुलर जांच करवाएं।
  • नवजात शिशु को समय पर टीकाकरण दें (विशेषकर हेपेटाइटिस B का टीका)।
  • साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें, खासकर छोटे बच्चों की।
  • बच्चे के खाने-पीने में संतुलित और पोषक आहार शामिल करें।
  • किसी भी लक्षण को नज़रअंदाज़ न करें और बाल रोग विशेषज्ञ से सलाह लें।

🧡 निष्कर्ष (Conclusion)

पीड्रिएटिक लिवर डिजीज कोई सामान्य बीमारी नहीं है। यह न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी माता-पिता और बच्चे को प्रभावित करती है। सही समय पर पहचान और इलाज से इस गंभीर बीमारी को काबू किया जा सकता है। जागरूकता और सतर्कता ही सबसे बड़ा बचाव है।

Leave a Comment